जैन धर्म के उज्जवल छाजेड़ गोत्र की कुलदेवी श्री भवाल माताजी का मूल प्रागट्य स्थल राजस्थान बालोतरा जिला के तिलवाडा ग्राम है जहाँ माता जी की चरण पादुका प्रतिष्ठित है , कालांतर में मुग़ल आक्रमण से तिलवाडा स्थल क्षतिग्रस्त होने के बाद कहा जाता है कि श्री भवाल माता जी जोधपुर के बिरामी गाँव में पुरोहित की खेत से प्रकट हुई-पहले बिरामी का यह स्थल जाल-कंटीले पौधों से घिरा हुआ था वर्तमान में यहाँ भव्य मंदिर है , माताजी की महाप्रभाविक प्रतिमा प्रतिष्ठित है ! देशभर के छाजेड़ बंधु यहाँ निरंतर दर्शनार्थ आते है ! इस स्थान पर अपने कुलदेवी की आराधना के लिए खैरागढ़ से कंचन देवी छाजेड़ ,रूपचंद छाजेड़ भी प्रायः प्रति नवरात्रि में बिरामी जाते थे ! सन 1991-92 में रूपचंद जी छाजेड़ के निज घर में उनकी सुपुत्री ममता जैन को कुलदेवी की परचा मिला ! उस दिन से यह परिवार माताजी की तस्वीर स्थापित करके भक्ति करते थे , प्रत्येक नवमी को ममता जैन की माध्यम से कुलदेवी माँ की परचा लोगो को मिलती रही है ! सन 2012 में कुलदेवी माता की अंतप्रेरणा से एवं कंचन देवी को दिखे स्वप्न अनुसार इस स्थल(खैरागढ़)में मंदिर निर्माण का शुभारम्भ किया गया ! दिनांक 28 अप्रेल 2012 को भूमि पूजन तथा दिनांक 29 जून 2012 को शिलान्यास उत्सव के साथ मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ ! मंदिर निर्माण के आदेश के साथ मातारानी की निर्देशानुसार संकल्प लिया गया कि मंदिर निर्माण में प्राप्त सभी सहयोग गुप्त रहेगा अर्थात किसी भी सहयोगी का नाम पत्रिका अथवा शिलालेख में अंकित नही किया जावेगा ! सम्पूर्ण मंदिर के निर्माण श्रृंखला से प्रतिष्ठा महोत्सव तक बिना नामावली के सभी मांगलिक कार्य पूर्ण हुए ! सन 2018 में दिनांक 21 से 25 अप्रेल तक पंचान्हिका महोत्सव अंतर्गत शतचंडी पाठ नवकुण्डीय यज्ञ का आयोजन हुआ ! देशभर से पधारे हजारो मातृभक्तों की उपस्थिति में दिनांक 25 अप्रेल 2018 को भव्य प्रतिष्ठा संपन्न हुई ! राजस्थान सागवाड़ा के विद्वतवर्य मनीषी पंडित श्री संजय पाठक के नेतृत्व में मुंबई,अहमदाबाद,राजकोट,बनारस से आये 27 आचार्यो एवं विप्रवरो द्वारा प्रतिष्ठा महोत्सव का सम्पूर्ण शास्त्रीय परम्परा अनुसार विधि विधान संपन्न कराया गया ! वैदिक विधिविधान के साथ पुरे पांच दिवस जैन धर्म मतानुसार विभिन्न पूजा का भी आयोजन किया गया ! मंदिर निर्माण एवं प्रतिष्ठा महोत्सव तक श्रद्धेया जीजी ममता जैन के संयोजन में भाई खूबचंद ,रणजीत ,सेवाभावी भाभी मंजू - सुमन-कांता छाजेड, अग्रणी विमला देवी ,भंवरलाल छाजेड़ खैरागढ़ ,भाई सरदारमल छाजेड़ सोरापुर,छाजेड मोहन लाल जी बीजा,अनमोल सरिता जी थान खमरिहा,अंकित-कमलेश-तपस्वी-सुरेशजी-हनुमानमल जी-देवी चंद जी-धनराज जी-उत्तम जी-विक्रम जी हिरीयूर-संतोष छाजेड़ दुर्ग-पारस बीजा ,कर्मठ कार्यकर्ता अशोक बाफना-दिलीप बाफना,विजय-संजय-अजय सांखला,संजय श्री श्रीमाल(तृप्ति)-संजय कांकरिया दुर्ग ,अमर रजक,कोटक भैया,कमल शर्मा,संजय छाजेड़ पिपरिया,सुधा देवी ,मीना देवी ,कांता देवी,कु॰ महक-रानी-प्रिया, विनय-विजयलाल,अरिहंत सहित सभी कार्यकर्ताओ ने तन-मन समर्पण के साथ अपने दायित्वों का निर्वाहन किया !सरल स्वभावी श्री रणछोड़मल जी छाजेड़ परिवार हिरीयूर,धर्म निष्ठ श्राविका वंदना संजय सांखला(सी.ए) चेन्नई,सोमपुरा हरीशभाई सहित संतोष भाई का अविस्मरणीय सहयोग रहा! बिना किसी यश की कामना किए सभी सहयोगियों ने जो मंदिर निर्माण एवं प्रतिष्ठा महोत्सव में योगदान दिया वह आज के समय में उपलब्धि है एवं कुलदेवी मातारानी की असीम कृपा तथा बहन मधु,सुनीता,अनीता ,नेहा की भक्ति का परिणामहै !